Sankashti Chaturthi 2024: फाल्गुन माह में भालचंद्र संकष्टी का विशेष महत्व है
हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। फाल्गुन मास यानी मराठी वर्ष का आखिरी महीना और इसमें पड़ने वाली चतुर्थी को भालचंद्र संकष्ट चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। साथ ही इस व्रत को करने से भगवान गणेश की कृपा से सभी रुके हुए काम पूरे होने लगते हैं और जीवन में सफलता मिलती है।
भालचंद्र संकष्ट चतुर्थी नाम ही क्यों ?
गणेश जी को भालचंद्र नाम इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने अपने पिता की तरह चंद्रमा को मस्तक पर धारण किया था। बप्पा के चेहरे पर उनकी शीतलता हमेशा झलकती रहती है. बप्पा का चंद्रमा को धारण करना चंद्रमा की महिमा है! और इस व्रत को वही मान्यता मिली.
भालचंद्र चतुर्थी चंद्रोदय 2024
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा। कैलेंडर के अनुसार, इस साल यह तिथि 28 मार्च को शाम 6.56 बजे और 29 मार्च को रात 8.20 बजे शुरू होगी. यह मिनटों में ख़त्म हो जाएगा. चंद्रोदय और चंद्रोदय के आधार पर संकष्टी चतुर्थी व्रत 28 मार्च 2024 को मनाया जाएगा इसके बाद व्रत का त्याग कर दिया जाएगा। अतः चन्द्रोदय का समय 9.28 मिनट है
संकष्टी निमित्त शुभ कार्य हेतु शुभ समय
चांग के अनुसार 28 मार्च 2024 को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर सुबह 10.54 बजे से दोपहर 12.26 बजे तक यह पूजा-पाठ के लिए शुभ समय रहेगा। पूजा का शुभ समय शाम 5.04 से 6.37 बजे तक है.
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य से पहले पूजनीय और पूजनीय प्रथम देवता माना जाता है ये जरूरी है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश के आशीर्वाद से कोई भी काम करने से सफलता मिलती है। संकष्टी चतुर्थी व्रत भी गणेश जी को समर्पित है और इस दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। किसी भी काम में बाधाएं दूर होती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

